सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ अपने गुरु की शिक्षा दीक्षा का मान सम्मान बनाए रखा वही गुरु ने भी अपने नन्हें शिष्य से भविष्य में सत्य के मार्ग पर कभी डगमगाए ना रहने की आशीर्वाद दिया

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Happy teachers day 2019: अपने मस्साब को दिए इस वचन को निभा रहे सीएम योगी आदित्यनाथ
  • महाराजपुर थानाक्षेत्र के खुजऊपुर रूमा निवासी नागेंद्र नाथ बाजपेयी ने सीएम योगी को था पढ़ाया, जब सीएम कानपुर आते हैं तब अपने गुरू को बुलवाते हैं और बैठकर भोजन करते हैं।

कानपुर। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan ) की जयंती के मौके पर हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teacher’s day 2019) बड़े धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। अपने गुरूओं को शिष्य उपहार देकर आर्शीवाद लेते हुए हैं। हम इस पावन दिन पर एक ऐसे मस्साब और छात्र की कहानी बतानें जा रहे हैं, जिन्होंने 40 साल पहले दिए वचन को निभाने के लिए पूरा जीवन समाज के नाम कर दिया। वह कोई और नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath ) हैं। जिन्हें कानपुर के महाराजपुर निवासी टीचर ने बारवीं तक की शिक्षा-दिक्षा दी।

पहले कर दी भविष्वाणी 
शायद समाज में यह कहावत प्रसिद्ध हुई कि ..पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। इस कहावत को जमीन पर उतारने वाले और कई नहीं, बल्कि युपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath ) हैं। सीएम को जिस गुरू ने क्षिशा-दिक्षा दी वो आज भी अपने शिष्य को अजेय के नाम से पुकारते हैं। महराजपुर थानाक्षेत्र के खुजउपुर गांव निवासी नागेंद्र नाथ बाजपेयी (Nagendra Nath Bajpai ) बताते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath ) को कक्षा 9 और 10 में गणित का ज्ञान देकर कॉलेज का श्रृष्ठ विद्यार्थी बनाया था और आर्शीवाद के तौर उन्हें नया नाम अजेय दिया। अजेय ने अपने गुरू को दक्षिणा के जीवन में चाहे जितनी कठिनाइयां आएं पर झूठ नहीं बोलने और समाजसेवा का वचन दिया, जिसे वह 40 साल से निभा रहे है।

योगी के पिता से दोस्ती 
मुलरूप से महाराजपुर थानाक्षेत्र के खुजऊपुर रूमा निवासी नागेंद्र नाथ वाजपेयी उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल स्थित (Tehri Garhwal of Uttarakhand ) राजकीय इंटर कॉलेज गजा टिहरी (Government Inter College Gaja Tehri ) में बतौर गणित विषय के टीचर थे। बाजपेयी के पड़ोस में रहने आन्नद विष्ट जो की वन विभाग में नौकरी करते थे उनकी मित्रता हो गई। आन्नद विष्ट ने अपने दो बेटे अजय मोहन विष्ट (योगी आदित्यनाथ) और मानवेंद्र विष्ट को इनके स्कूल में कक्षा नौ में दाखिला करवाया। बाजेपयी कानपुर के रहने वाले थे तो उन्हें पहाड़ी क्षेत्रों के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं थी। तब वो आन्नद विष्ट से अक्सर जानकारी लेते। बाजपेयी बताते हैं कि जब भी हम कानपुर आते तो यहां के ठग्गू के लड्डू और मुन्ना की नमकीन जरूर लेकर जाते। कभी-कभी हमें आगरा का पेठा भी लेकर जाना होता था।

1987-88 में लिया था दाखिला
नागेंद्र नाथ वाजपेयी ने बताया कि योगी आदित्यनाथ ने 1987 में स्कूल में दाखिला लिया। कक्षा नौवीं में वो स्कूल टाॅपर रहे और 100 में से 95 नंबर उन्हें गणित में मिले। दसवीं की परीक्षा भी उन्होंन अच्छे अंकों के साथ पास की। नागेंद्र नाथ वाजपेयी ने बताया कि योगी आदित्यनाथ समय के बुहत पक्के थे। अगर उन्हें हमने सुबह छह बजे घर ट्यूशन के लिए बुलाया तो वह एक मिनट भी लेट नहीं होते थे। बताते हैं कि कक्षा दसवीं के एग्जाम से पहले कुछ दिनों के लिए स्कूल बंद हो गए थे। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गुरू जी हमें गणित में अच्छे अंक लाना है इसलिए ट्यूशन पढ़ा दें। हमने उन्हें सुबह छह बजे का समय दिया।

जमीन पर बैठ कर करते थे पढ़ाई 
नागेंद्र नाथ वाजपेयी ने बताया कि रविवार का दिन था। पहाड़ों से बर्फीले हवाएं चल रही थीं। तापमान माइनस शून्य के नीचे थे। हम घर के अंदर दरवाजे खिड़कियां बंद किए हुए थे। तभी सुबह के 6 बजे योगी आदित्यनाथ हमारे घर पर आ गए और कुंडी खटखटाई। हमनें़ दरवाजा खोला तो नन्हा बालक योगी बाहर कॉपी-किताबों के साथ खड़ा था। वह अंदर आए और रजाई के बजाए ऐसे ही जमीन पर बैठ गए और गुणाभाग के सवालों में उलझे और हमें भी उलझाया। यह देख हमने योगी आदित्यनाथ के पिता से कहा था कि विष्ट जी आपका लड़का देश में अपनी अलग पहचान बनाएगा।

सबसे पहले पहुंच जाते थे क्लास
नागेंद्र नाथ वाजपेयी बताते हैं कि योगी आदित्य नाथ पढ़ने में बहुत तेज थे। वह गणित की किताब लेकर उनके घर आकर सवाल पूछा करते थे। स्कूल भी पांच मिनट पहले ही पहुंच जाया करते थे। योगी आदित्य नाथ स्कूल में भी सफाई पसंद थे। जरा सी गदंगी देखकर तुरंत खुद ही झाड़ू लगाने लगते थे। वह जींस और टी शर्ट पंसद नहीं करते थे। बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू के विरोधी थे। अगर स्कूल के बाहर या घर के आसपास कोई गंदगी करता तो उसे रोकते और खुद सफाई करने में जुट जाया करते थे।

सीएम बनने के बाद बुलावाया सीएसए 
बाजपेयी बताते हैं कि 2017 में सीएम पद की शपथ लेने के बाद वह 7 सितंबर 2017 को कानपुर आए। आने से पहले उन्होंने हमें सीएसए बुलवाया। यहां हमारी उनके साथ बातचीत हुई। उनके साथ कुलपति के दफ्तर में बैठकर खाना खाया। अपने साथ लखनऊ से लेकर आए दो पुस्तकें और शॉल उनको भेंट की। बाजपेयी कहते हैं कि वो जब भी कानपुर आते हैं तो हमें जरूर बुलाते हैं और अपने बचपन की यादें हम दोनों बैठकर एक-दूसरे को सुनाते हैं। सीएम के गुरू कहते हैं कि प्रदेश की बागडोर एक इमानदार छात्र, संत के हाथों में है और मैं बड़े गर्व से कह सकता हूं कि मेरे शिष्य के कदम कभी नहीं भटकेंगें।

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