⛅ दिनांक 03 फरवरी 2019
⛅ दिन – रविवार
⛅ विक्रम संवत – 2075
⛅ शक संवत -1940
⛅ अयन – उत्तरायण
⛅ ऋतु – शिशिर
⛅ मास – माघ (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार पौष)
⛅ पक्ष – कृष्ण
⛅ तिथि – चतुर्दशी रात्रि 11:52 तक तत्पश्चात अमावस्या
⛅ नक्षत्र – उत्तराषाढा 04 फरवरी रात्रि 02:56 तक तत्पश्चात श्रवण
⛅ योग – सिद्धि पूर्ण रात्रि तक
⛅ राहुकाल – शाम 04:38 से शाम 05:59 तक
⛅ सूर्योदय – 07:16
⛅ सूर्यास्त – 18:28
⛅ दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
⛅ *व्रत पर्व विवरण –
💥 विशेष – चतुर्दशी और रविवार, रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🌞 ~ हिन्दू पंचांग ~ 🌞
🌷 मौनी अमावस्या 🌷
🙏🏻 04 फरवरी 2019 सोमवार को मौनी अमावस्या है उस दिन प्रयाग में स्नान की तिथि है | आप सब प्रयाग तो नहीं जाओगे पर अपने घर पे ही उस दिन स्नान करते समय –
🌷 ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा | ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा |
🙏🏻 ये मंत्र बोलकर उबटन जो बापूजी ने बताया था उस उबटन को शरीर पर लगाकर स्नान करें तो गंगा स्नान का पुण्य मिलता है | अमावस्या के दिन तो जरुर करें | उस दिन गीता का सातवाँ अध्याय का पाठ करें और भगवान ने धन दिया है तो उस दिन घर में आटे की, बेसन की २ – ४ किलो मिठाई बना ले और गरीब बच्चे-बच्चियों में बाँट आयें, अपने पितरो के नाम दादा, दादी, नानी उनके नाम से बाँट कर आ जायें |
🌞 ~ हिन्दू पंचांग ~ 🌞
🌷 व्यतिपात योग 🌷
🙏🏻 व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।
🙏🏻 वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।
🙏🏻 व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नहीं दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसू बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।